How volume work in stock market ? How volume is used for analysis ?

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वॉल्यूम इंडिकेटर के रूप में वॉल्यूम का महत्व और टॉप वॉल्यूम इंडिकेटर्स
शेयर बाजार में निवेश करते समय, हमें कई प्रकार के संकेतकों (indicators) का उपयोग करना होता है ताकि हम अपने निवेश को सही दिशा में ले जा सकें। इनमें से वॉल्यूम एक महत्वपूर्ण संकेतक है जो हमें बाजार की गतिविधियों का संकेत देता है।

वॉल्यूम, किसी निश्चित समयावधि में ट्रेड किए गए शेयरों की कुल संख्या को दर्शाता है। यह हमें बताता है कि बाजार में कितनी गतिविधि हो रही है, और इससे हमें बाजार की दिशा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। जब वॉल्यूम अधिक होता है, तो यह दर्शाता है कि अधिक संख्या में निवेशक बाजार में सक्रिय हैं, जिससे बाजार में अधिक स्थिरता और विश्वसनीयता होती है।

वॉल्यूम का महत्व
वॉल्यूम संकेतक के रूप में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें बाजार की भावनाओं (market sentiment) को समझने में मदद करता है। जब किसी विशेष शेयर की वॉल्यूम बढ़ती है, तो यह दर्शाता है कि निवेशक उस शेयर को लेकर अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इससे हमें उस शेयर की भविष्य की कीमतों के बारे में अनुमान लगाने में मदद मिलती है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी शेयर की कीमत बढ़ रही है और साथ ही वॉल्यूम भी बढ़ रही है, तो यह एक सकारात्मक संकेत है कि शेयर की कीमतें आगे भी बढ़ सकती हैं। वहीं, अगर शेयर की कीमत घट रही है और वॉल्यूम भी कम हो रही है, तो यह संकेत हो सकता है कि शेयर की कीमतें आगे और गिर सकती हैं।

टॉप वॉल्यूम इंडिकेटर्स
शेयर बाजार में वॉल्यूम संकेतकों का उपयोग करके हम अपने निवेश निर्णयों को और भी सटीक बना सकते हैं। यहां हम कुछ प्रमुख वॉल्यूम संकेतकों के बारे में चर्चा करेंगे:

1. वॉल्यूम मूविंग एवरेज (Volume Moving Average)
वॉल्यूम मूविंग एवरेज हमें वॉल्यूम के औसत का संकेत देता है, जिससे हम यह समझ सकते हैं कि किसी विशेष समयावधि में वॉल्यूम का औसत क्या रहा है। इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि बाजार में सामान्य गतिविधि कैसी रही है।

2. ऑन-बैलेंस वॉल्यूम (On-Balance Volume, OBV)
OBV एक प्रमुख वॉल्यूम संकेतक है जो कीमतों और वॉल्यूम के बीच संबंध को समझने में मदद करता है। जब वॉल्यूम बढ़ती है, तो यह संकेतक हमें बताता है कि कीमतें भी बढ़ने की संभावना है।

3. वॉल्यूम रेशियो (Volume Ratio)
वॉल्यूम रेशियो हमें यह बताता है कि किसी शेयर की वॉल्यूम अन्य शेयरों की वॉल्यूम के मुकाबले कैसी है। इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किसी विशेष शेयर में कितनी गतिविधि हो रही है।

4. मनी फ्लो इंडेक्स (Money Flow Index, MFI)
MFI एक वॉल्यूम आधारित संकेतक है जो हमें यह समझने में मदद करता है कि किसी शेयर में कितनी धनराशि निवेश की जा रही है। यह संकेतक वॉल्यूम और कीमत दोनों का उपयोग करके तैयार किया जाता है और हमें बाजार की स्थिति का संकेत देता है।

5. चाइकन वॉल्यूम इंडिकेटर (Chaikin Volume Indicator)
यह संकेतक वॉल्यूम और कीमत के डेटा को मिलाकर एक संकेतक तैयार करता है जो हमें बताता है कि बाजार में कितनी क्रय शक्ति और बिक्री शक्ति है। इससे हमें बाजार की दिशा का पता चलता है।

6. वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड (Volume Price Trend, VPT)
VPT संकेतक वॉल्यूम और कीमत दोनों का उपयोग करके तैयार किया जाता है और हमें यह समझने में मदद करता है कि किसी शेयर की कीमतें वॉल्यूम के साथ कैसे बदल रही हैं।

7. एडीएक्स वॉल्यूम इंडिकेटर (ADX Volume Indicator)
ADX संकेतक हमें यह बताता है कि बाजार में वर्तमान में कितनी मजबूती है। यह वॉल्यूम और कीमत दोनों का उपयोग करके तैयार किया जाता है और हमें बाजार की दिशा का संकेत देता है।

8. क्यूमलेटिव वॉल्यूम इंडिकेटर (Cumulative Volume Indicator)
यह संकेतक वॉल्यूम का योग निकालता है और हमें यह बताता है कि किसी शेयर में कितनी कुल वॉल्यूम है। इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किसी शेयर में कितनी गतिविधि हो रही है।

9. वॉल्यूम एस्कलेटर (Volume Oscillator)
वॉल्यूम एस्कलेटर संकेतक हमें यह बताता है कि वॉल्यूम कैसे बदल रही है। यह संकेतक वॉल्यूम के बदलाव को मापता है और हमें यह समझने में मदद करता है कि किसी शेयर में कितनी गतिविधि हो रही है।

10. क्यूमलेटिव वॉल्यूम इंडेक्स (Cumulative Volume Index, CVI)
CVI संकेतक वॉल्यूम का योग निकालता है और हमें यह बताता है कि किसी शेयर में कितनी कुल वॉल्यूम है। इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किसी शेयर में कितनी गतिविधि हो रही है।

निष्कर्ष
वॉल्यूम संकेतक हमें बाजार की गतिविधियों और दिशा का संकेत देते हैं। इन संकेतकों का उपयोग करके हम अपने निवेश निर्णयों को और भी सटीक बना सकते हैं। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि वॉल्यूम संकेतक कैसे काम करते हैं और उन्हें सही तरीके से कैसे उपयोग किया जाए।
 
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